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बालकहानी ःहैरी जासूस

बालकहानी ः


जासूस हैरी

बहुत दिनों बाद हैरी गर्मियों की छुट्टी में अपने गांव आया था।
गांव के सभी दोस्त हरि,मनु बसंत उसे लेने स्टेशन गए थे।
हर वर्ष हैरी अपने दादा दादी के पास गांव जरूर आता था।

हैरी आया तो सभी दोस्त बड़े वाले मैदान में मिले।वहां पर साइकिल रेस शुरू हुई।

साइकिल चलाने से पहले ही बसंत ने हैरी को चेताया कि लाल कोठी की तरफ मत जाना।
हैरी चौंका फिर बोला--,,ऐसा क्यों?,,

सभी दोस्त वहां पर इकट्ठे हो गए और बताने लगे कि लाल कोठी में अचानक भूतों का राज हो गया है।
उधर जाने के लिए सरपंच जी ने सख्त मना किया है।
,,ह्म्म्म...!,,हैरी सोच में पड़ गया।वह एक शहर का पढ़ा लिखा बच्चों में था जिसे भूतप्रेत कल्पना लगते थे।
लालकोठी सुरजपुर हैरी के ददिहाल का एक पुराना ऐतिहासिक धरोहर था जो कि अब खंडहर में तब्दील हो चुका था।
पहले सब बच्चों के खेलने का डेस्टिनेशन वहीं हुआ करता था लेकिन अब अचानक वहां रोने चिल्लाने की आवाज आने लगी थी।यहां तक कि गांव के कई व्यक्ति लापता हो गए थे; जब कि वे लोग इसकी सच्चाई का पता लगाने गए थे।

हैरी बहुत ही बहादुर बच्चा था।वह अपने चचेरे भाई विक्रम को समझाबुझाकर अपनी योजना में तैयार कर लिया।

एक दोपहर जब सबलोग खापीकर सो रहे थे तब हैरी और विक्रम चुपके से अपनी अपनी साइकिल पर लालकोठी की तरफ बढ़ गए।
हैरी ने अपनी मम्मी का मोबाइल कैरी कर लिया था ।
आधे घंटे बाद जब  वे दोनों उस सुनसान खंडहर में पहुंचे तो वहां बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ था।
दोनों सामने वाले बड़ेवाले गेट से नहीं घुस कर पीछे की तरफ से अंदर घुसे।
आम के पेड़ों पर पीले लाल पके आम लटक रहे थे।
सामने से लंबा संकरा रास्ता था जो सीढियों से ऊपर की ओर जाता था।
दोनों भाई पैर दबा दबा कर चलते जा रहे थे कि अचानक कमरे से किसी के फुसफुसाने की आवाज आई।
दोनों एक दूसरे को आंखों से इशारा किया और कान लगाकर सुनने लगे।
एक आदमी दूसरे से कह रहा था -,,शहर से रामप्रसाद का छोरा आया है कहो तो उठवा लूं..मुंह मांगी फिरौती मिल जाएगी!,,
,,न..हीं... नहीं!,एक दूसरा आदमी बोला--,,गांव के अंदर ये सब नहीं...!अभी पुराना मामला दबा भी नहीं है।किसी को पता नहीं कि सेठानी की बहू को हमने मारा था और नाम भूत का हो गया ..हा..हा..!,,

विक्रम की तो चीख निकलते बची।हैरी ने उसके मुंह को दबा कर बंद कर दिया।

,,अच्छा.. अब सुन...सरपंच का सारा परिवार शादी में जानेवाला है।हम रास्ते में ही लूट लेंगे सबको.. वैसे ही जैसा कि हमारा प्लान था।..फिर से उसे भूतों के हवाले कर देंगे।...हा...हा...!!,,

विक्रम और हैरी अब वापस मुड़ गए।दोपहर ढलान पर था।हैरी और विक्रम दोनों उलटे पैर भागना शुरू किए तो जाकर सरपंच जी के घर रूके।

एक साँस में उन्हें सारी कहानी सुना दी।
पहले तो सरपंचजी को यकीन नहीं हुआ फिर उन्होंने पुलिस को सूचना दी।

पुलिस अधिकारी ने सारी बातें सुनी  और फिर लालकोठी पर छापा मारकर सारे आरोपियों को पकड़ लिया।
अब लालकोठी का भूत भाग गया था और हैरी एक लिटिल जासूस बन गया था।

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सीमा..✍️
©®

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#लेखनी कहानी
#लेखनी कहानी सफर
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9 Comments

madhura

02-Feb-2025 10:00 AM

v nice story

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shweta soni

16-Jul-2022 11:24 PM

Bahot sunder 👌

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Pallavi

15-Dec-2021 10:20 PM

Nice

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